Tag Archives: Lalmani Misra

राग अहीरी जोगिया

DSC00188 भारतीय संगीत सागर स्वरूप है। साहसी नाविक कोने कोने जाकर डुबकी लगाते हैं, किंतु अंकित, चिह्नित करने के तमाम प्रयासों के बाद भी नए मोती मिलने की सम्भावना बनी ही रहती है। द्वितीय सहस्राब्दी के दूसरे दशक के समापन तक संगीत को ज्ञानाकृति  देने का कार्य सतत है। पुस्तकों के अतिरिक्त इण्टरनैट त्वरित स्रोत होता जा रहा है। यह संगीत का ही प्रवाह है कि उत्सुक को अनोखा रत्न देने को सद्य: प्रस्तुत रहता है। राग ‘अहीरी जोगिया’ भारतीय शास्त्रीय संगीत के अप्रचलित रागों में से एक है। Continue reading

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सामेश्वरी

Sameshwariबाल्यकाल से ही अपनी नैसर्गिक संगीत प्रतिभा के फलस्वरूप, लालमणि मिश्र को 1500 ध्रुव-पद और 500 खयाल बंदिशें कण्ठस्थ थीं। कलकत्ता में फैली अशांति के कारण, जिस समय वह कानपुर लौटे तब उन की अवस्था अठारह वर्ष की थी। कान्यकुब्ज महाविद्यालय में संगीत शिक्षण के साथ साथ, स्व-साधना तथा शोध-चिंतन में रत रहे। एक ओर वह भारतीय संगीत के अतीत की कडियों को जोड़ने का कार्य कर रहे थे, दूसरी ओर संगीत के माध्यम से नन्हें मस्तिष्क को स्वाधीन भारतीय नागरिक बनने को तैयार कर रहे थे। उनके लिए राष्ट्र-चिंतन से युक्त बाल-गीत लिखे तथा सुगम्य धुनों में बाँधा। Continue reading

डॉ. लालमणि मिश्र — प्रकाशित संगीत

LMM69to78यह भारतीय संगीत, समाज व जीवन क्रम की तत्कालीन स्थिति का परिचायक है, कि किशोरावस्था के आरम्भ में ही जिसे फिल्म, थियेटर व रिकॉर्डिंग स्टूडियो में संगीत संयोजन का आमंत्रण मिला हो, तथा जिसने युवावस्था में विश्व भर के श्रेष्ठतम मंचों पर प्रदर्शन किया हो, जिसने कोटिश: सांगीतिक रचनाओं का निर्माण किया हो, उसकी ही सांगीतिक प्रस्तुतियों से विश्व वंचित रह गया। आकाशवाणी के इलाहाबाद केंद्र पर अनेक वादन-प्रस्तुतियों के ध्वन्यांकन के उपरांत भी, अंगुलियों पर गिनी जाने वाली ध्वन्यांकित कृति ही संस्थान के पास उपलब्ध हैं। Continue reading