भारतीय संगीत के बृहद इतिहास के विहंगम अवलोकन पश्चात, उसे आत्मसात कर उसका सार्थक विश्लेषण करने तथा उसके प्रमाणों का सही प्रस्तुतिकरण कर पाने की क्षमता, कितने लोगों में है, यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न हो सकता है। किसी भी विषय के अंतरस्थ मूल्यों को समझने के लिये, एक विशेष अनुभवसिक्त दृष्टि सिद्ध होने के उपरांत ही उस विषय के आन्तरिक प्रवाह को भली प्रकार विश्लेषित किया जाता है। भारतीय कला, दर्शन और साहित्य में निहित अपरिमित वैचारिक तथ्यों का अध्ययन एवं अनुशीलन अपने आप में एक गंभीर अभ्यासीय प्रक्रिया है जिसमें बाह्य प्रकृति जन्य किसी भी प्रकार के उल्कापातों का कोई स्थान नहीं है। Continue reading
जिज्ञासा?
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अधुना
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