जिस प्रकार षडज के बजने से गांधार स्वर जो उसी के अन्दर प्रतिष्ठित है सुनने वाले को अलग ही से सुनाई पड़ जाता है ठीक वैसे ही मेरे मन के विचार प्रगट होकर सुविज्ञ जनों तक पहुँचे। जिस प्रकार षडज के अन्दर बसे गांधार के दर्शन ज्ञानी कर लेते हैं वैसे ही मेरे आत्मघटक से निकले विचारों का सेवन जिज्ञासु करेंगे ऐसी मुझे आशा है। यही है मेरा ‘षडजांतर’ ।
जिज्ञासा?
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अधुना
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ब्लॉग की दुनिया में आपकी आमद बहुत अच्छी है. ‘षडजांतर’ के बारे में सुन्दर जानकारी प्राप्त हुई. आगे आने वाले पोस्ट/लेखों की प्रतीक्षा रहेगी – समय निकाल कर लिखती रहें.
ब्लॉग की दुनिया में आपकी आमद बहुत अच्छी है. ‘षडजांतर’ के बारे में सुन्दर जानकारी प्राप्त हुई. आगे आने वाले पोस्ट/लेखों की प्रतीक्षा रहेगी. समय निकाल कर लिखती रहें.
विषय को इस गम्भीरतासे लेने वाले औरलिखने वाले ही भारतीय ज्ञान को बचा पांएगे।
नमस्कार आपका ब्लॉग देखकर बहुत अच्छा लगा, आपके लेख अभी पढूंगी, पर सोचा इस ब्लॉग के लिए पहले बधाई दे दू. मैं स्वयं भी एक संगीत ब्लॉग (vaniveenapani.blogspot.com) चलाती हूँ. इसलिए आपका ब्लॉग देखकर खास ख़ुशी हुई.
Wonderful effort, hope Hindustani music will enrich here