यह भारतीय संगीत, समाज व जीवन क्रम की तत्कालीन स्थिति का परिचायक है, कि किशोरावस्था के आरम्भ में ही जिसे फिल्म, थियेटर व रिकॉर्डिंग स्टूडियो में संगीत संयोजन का आमंत्रण मिला हो, तथा जिसने युवावस्था में विश्व भर के श्रेष्ठतम मंचों पर प्रदर्शन किया हो, जिसने कोटिश: सांगीतिक रचनाओं का निर्माण किया हो, उसकी ही सांगीतिक प्रस्तुतियों से विश्व वंचित रह गया। आकाशवाणी के इलाहाबाद केंद्र पर अनेक वादन-प्रस्तुतियों के ध्वन्यांकन के उपरांत भी, अंगुलियों पर गिनी जाने वाली ध्वन्यांकित कृति ही संस्थान के पास उपलब्ध हैं।
भारतीय संगीतज्ञ का आदर्श साधक होना था, प्रदर्शनकार होना नहीं। पचास, साठ, सत्तर के दशक तक भी अनेक प्रदर्शन ध्वनि-विस्तार साधनों के अभाव में ही आयोजित हो जाते थे। उत्तरकाल के लिए अपनी प्रस्तुति को सहेजने का विचार मंच कलाकार को भी जल्दी नहीं सताता था। दो एक चित्र, पत्र-पुष्प, भेंट तथा उत्तम संगीत व संगीत चर्चा ही स्मरण को पर्याप्त थे। रेकॉर्ड कम्पनी द्वारा प्रकाशित लघु-कालिक प्रस्तुतियों को संगीत के लिए कम, सम्मान के लिए ही कलाकार रखता था। जीवंत संगीत प्रस्तुतियों के ध्वन्यांकन का कार्य रसिक श्रोताओं ने आरम्भ किया जो ध्वन्यांकन के मंहगे उपकरण खरीदने का सामर्थ्य रखते थे। अस्सी का दशक आरम्भ होते ही कैसैट टेप व रिकॉर्डर सुलभ हुए और पहली बार हर स्तर के व्यक्ति को उसकी पसंद का संगीत उपलब्ध होने लगा। जुलाई 1979 में संगीतज्ञ-विचारक द्वय डॉ.लालमणि मिश्र तथा आचार्य कैलाश चंद्र देव ब्रहस्पति का निधन हुआ। इस से पूर्व के कलाकार विनायल रेकॉर्ड तक ही सीमित रहे और केवल कुछ पूर्व प्रस्तुति ही नए मीडिया में पुनर्प्रकाशित हो पायीं।
डॉ. मिश्र की प्रकाशित रचनाएं इस अनुसार हैं:
लॉन्ग-प्ले रेकॉर्ड
“नेक्टर ऑव द मून” लेबल: ननसच, क्र. H-72086 , 1981
राग आनंद भैरव (20:04), राग मुलतानी (12:16), आनंद भैरवी धुन (7:54)
ऑडियो-कैसेट
“लालमणि मिश्र: विचित्र वीणा” रविशंकर म्यूज़िक सर्कल, RSMC-10 1979
राग बसंत बहार, राग भैरवी (दादरा)
कॉम्पैक्ट डिस्क
“क्लासिकल म्यूज़िक: इंस्ट्रूमेंटल एण्ड वोकल” ऑल इंडिया रेडियो, ECSD 1983LL, 1991
राग खमाज (10:10), राग भूप (15:17)
“पण्डित लालमणि मिश्र कृष्णराव शंकर पण्डित:सुर-साधना” वॉल्यूम 3, ऑल इंडिया रेडियो, AIRH 95E, 1991
विचित्र वीणा — राग सैंधवी
“द म्यूज़िक ऑव पण्डित लालमणि मिश्र” ऑविडिस, D 8267, स्मिथ्सोनियन फोकवेज़, UNES08267 1996
राग कौंसी कान्हडा (61:44)
“ए डॉन अॅव वीणा” मधुकली, 2013
राग बैरागी (19 33, 10:24, 11:20) , भैरवी धुन (5:21)
मिश्रबानी विचित्र वीणा हैरिटैज अलाइव वॉल्यूम 1, मिश्रबानी © Lalmani Misra (884501956475) 2013
राग मालगुञ्जी (38:55) राग भूपाली (12:52)
मिश्रबानी विचित्र वीणा हैरिटैज अलाइव वॉल्यूम 2, मिश्रबानी © Copyright – Misrabani (192914837350) 2018
राग मुलतानी (17:40, 37:45) राग भैरवी (20:15)
डिजिटल वीडियो डिस्क
“सेलेस्टियल म्यूज़िक ऑव पण्डित लालमणि मिश्र” म्यूज़िक डिपार्टमेण्ट, सोनोमा स्टेट यूनिवर्सिटी, ℗2006.
राग सिंदूरा, राग तिलंग, राग भूपाली (समस्त 45 मिनट)
1969 से 1978 के मध्य अमेरिका तथा भारत में प्रस्तुत कुछ कार्यक्रम क्रमश: डॉ. नैन्सी नॅलबैंडियन तथा डॉ. गोपाल शंकर मिश्र व अन्य द्वारा जीवंत ध्वन्यांकित किए गए। लगभग पांच दशकों से स्पूल टेप में अगम्य, डॉ. लालमणि मिश्र की धरोहर, परिवार के सदस्यों व शिष्यकुल के प्रयासों से प्रस्तुत की जा रही है।
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